संग्रहालय को और जानें

प्रारंभ:

हैदराबाद स्थित सलारजंग संग्रहालय, सलारजंग परिवार का कला के प्रति अगाध प्रेम का साक्ष्‍य है. इस संग्रहालय को भारत के पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, 16 दिसंबर, 1951 द्वारा आधिकारिक तौर पर सार्वजनिक रूप से आरंभ करके जनता के लिए खोला गया था.

सलारजंग संग्रहालय, तेलंगाना राज्य के हैदराबाद शहर में मूसी नदी के दक्षिणी तट पर स्थित है जो कि विश्‍व के सबसे बड़े संग्रहालयों में से एक और भारत का तीसरा सबसे बड़ा संग्रहालय है.

उत्‍कृष्‍ठ कलाकृतियों का भंडार :

सलारजंग संग्रहालय में विभिन्न यूरोपीय, एशियाई और सुदूर पूर्वी देशों की विभिन्‍न उत्‍कृष्‍ठ कृतियों इसके गौरव का हिस्सा हैं, जिन्हें मुख्यत: नवाब मीर यूसुफ अली खान ने संग्रहित किया था और जिन्‍हें अधिकांशत: सलारजंग - III के नाम से जाना जाता है. कला के प्रति गंभीर और बाद में कलात्‍मक वस्तुओं को संग्रहित करने का उनका प्रेम सलारजंग परिवार की तीन पीढ़ियों तक चलता रहा.

इस संग्रह में वील्ड रेबेका की एक संगमरमर की मूर्ति है, जिसे सलारजंग - I द्वारा रोम से लाया गया था. इसके अलावा, हाथी दांत से बनी कुर्सियों का एक जोड़ा है, जिसे फ्रांस के लुईस - XVI ने मैसूर के टीपू सुल्तान को उपहार में दिया गया था. इस संग्रहालय में हरे पत्‍थर से बना एक बुक-स्टैंड, 'रेहल' जिस पर 'शमसुद्दीन अल्तमिश' का नाम लिखा है, एक निशानेबाज की अंगूठी है, जिस पर ‘साहिब-ए-किरण-ए-सनी’ मुगल सम्राट शाहजहां का नाम लिखा गया है, शामिल हैं. इस संग्रह में हरे पत्‍थर से बना एक बड़ा चाकू और फल काटनेवाला एक चाकू भी शामिल हैं, जिन्‍हें कीमती पत्थरों से सजाया गया है और जिनके बारे में दावा किया जाता है कि ये क्रमश: जहांगीर और नूरजहां के है.

सलारजंग संग्रहालय में कई अद्भुत भारतीय लघु चित्रों का संग्रह भी है, जो पश्चिमी भारत की शैली में हैं और ये 14वीं और 15वीं शताब्दी के बने हैं तथा इनमें कृष्ण-लीला विषय पर कलाकारियां की गई हैं. साथ ही, 19वीं शताब्दी की अरबी और फारसी पांडुलिपियों भी शामिल हैं, जिनमें फिरदौसी द्वारा शाहनामा भी शामिल है. इसमें गणित पर आधारित 'लीलावती' नामक एक दुर्लभ पांडुलिपि भी शामिल है और भारत में लिखा हुआ एक प्राचीन चिकित्सा विश्वकोष भी है. यूरोपीय संग्रह में तेल और पानी से बचे चित्र हैं.

समय का कालातीत रखवाला :

संग्रहालय में सबसे अधिक देखा जानेवाला भाग है - घड़ी कक्ष, जिसमें फ्रांस, इंग्लैंड, स्विट्ज़रलैंड, जर्मनी, हॉलैंड इत्यादि जैसे कई यूरोपीय देशों जैसे से विशाल और आधुनिक घड़ियों के लिए ओबिलिस्क के रूप में कई प्राचीन सनडायलवाली घड़ियों की श्रृंखला है. इस संग्रह में पक्षियों को पिंजरे में कैद रखी घड़ियां, ब्रैकेट - घड़ियां, परदादा - घड़ियां, कंकाल - घड़ियों इत्यादि शामिल हैं. इनमें सबसे अनूठी है - संगीत घड़ी, जिसे सलारजंग - III ने इंग्लैंड के कुक एंड केल्वे से खरीदा था. इसमें से प्रत्येक घंटे में एक टाइमकीपर इसके ऊपरी डेक से निकलता है और जितना भी उस घड़़ी में बजे, उतनी बार डंका बजाता है.

संग्रहालय में कई अन्य रोचक वस्तुएं हैं. पश्चिमी, पूर्वी और सेंट्रल ब्लॉक में यूरोप, चीन, जापान, नेपाल, म्यांमार, मध्य पूर्व और भारत की विभिन्न कला वस्‍तुओं को प्रदर्शित किया गया है.